

एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: रामयश चौबे खबरी न्यूज
- जहां श्रम को मिला सच्चा सलाम – डैडीज़ ब्रिक्स में गूंजा मज़दूर दिवस का जश्न”
- खून-पसीने को मिला मिठास और इज़्ज़त – उसरी चकिया में डैडीज़ ब्रिक्स का प्रेरणादायक आयोजन”
- ईंटों के बीच चमकी उम्मीद – श्रमिकों ने मनाया अपना दिन, मिला मंच और मान”
- जहां हथेली की लकीर में लिखा गया सम्मान – डैडीज़ ब्रिक्स का खास मज़दूर दिवस समारोह”
डैडीज ब्रिक्स में मजदूर दिवस सिर्फ मनाया नहीं गया, बल्कि उसे महसूस किया गया
चकिया, चंदौली।
जब अधिकांश लोग श्रमिक दिवस को महज़ एक तारीख या अवकाश के रूप में देखते हैं, वहीं डैडीज़ ब्रिक्स, उसरी चकिया ने इसे एक जज़्बा, एक समर्पण और एक नई सोच के रूप में मनाया। यहां मज़दूर दिवस सिर्फ मनाया नहीं गया, बल्कि उसे महसूस किया गया। आयोजन ने यह साफ़ कर दिया कि अगर किसी संस्था की नींव मज़दूर हैं, तो उसे सबसे पहले उन्हें ही सम्मान देना चाहिए।
संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल – डॉ. विनय प्रकाश तिवारी
संस्थान के संस्थापक और प्रेरणास्रोत डॉ. विनय प्रकाश तिवारी ने अपने संबोधन में जिस भावनात्मक जुड़ाव के साथ श्रमिकों को सम्मानित किया, उसने हर श्रोता की आंखें नम कर दीं।
उन्होंने कहा –
“जिस घर में हम अपने सपनों का संसार बसाते हैं, उसे ये मज़दूर अपने खून-पसीने से खड़ा करते हैं। इनका श्रम ही हमारे समाज की असली नींव है। हमें गर्व है कि हम ऐसे मेहनतकश लोगों के साथ काम करते हैं।”
समाज के विशिष्ट चेहरे बने गवाह
इस समारोह में समाज के कई प्रतिष्ठित चेहरे भी शामिल हुए –
श्री रामयश चौबे, श्री विनोद पांडेय, श्री राहुल विनय पांडेय, श्री विनीत पांडेय और श्री पीयूष पांडेय, जिन्होंने अपने वक्तव्यों में एक स्वर में श्रमिकों को देश की असली ताकत बताया।
सम्मान, मिठास और स्मृति का संगम
श्रमिकों को मिठाई और बोनस देकर न सिर्फ आर्थिक प्रोत्साहन दिया गया, बल्कि उन्हें यह भी अहसास कराया गया कि उनका परिश्रम सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि इंसानियत के निर्माण में भी अहम है। उनके बच्चों के लिए खास जलपान और खेल-मनोरंजन की व्यवस्था ने कार्यक्रम को पारिवारिक त्योहार में बदल दिया।
बच्चों की मुस्कान और श्रमिकों की चमकती आंखें
कार्यक्रम के दौरान एक दृश्य बेहद भावुक कर देने वाला था –
जब एक महिला श्रमिक की बेटी मंच पर आई और कहा –
“आज मुझे पहली बार लगा कि मेरी मम्मी का काम बहुत बड़ा है।”
इस एक वाक्य ने आयोजन की सफलता को मापने का पैमाना तय कर दिया।
संगीत, कविता और कृतज्ञता की गूंज
कार्यक्रम में श्रमिकों ने खुद की बनाई कविताएं और गीत भी प्रस्तुत किए।
एक कविता की पंक्ति ने सबको झकझोर दिया –
“हमने सीने पर धूप को ओढ़ा है, तभी तो ये दीवारें मजबूत खड़ी हैं।”
डैडीज़ ब्रिक्स – सिर्फ ईंट नहीं, एक सामाजिक सोच
डैडीज़ ब्रिक्स अब सिर्फ ईंट निर्माण का केंद्र नहीं, बल्कि श्रमिकों के लिए एक सम्मानजनक माहौल तैयार करने वाली संस्था बन चुकी है।
जहां श्रमिक सिर्फ कर्मचारी नहीं, परिवार का हिस्सा हैं।
आगे की योजना – शिक्षा और स्वास्थ्य
डॉ. तिवारी ने घोषणा की कि जल्द ही एक ‘श्रमिक सशक्तिकरण योजना’ के अंतर्गत बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य जांच और महिला श्रमिकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
यह योजना डैडीज़ ब्रिक्स को एक सामाजिक संस्था के रूप में अलग पहचान दिलाएगी।
एक नया सूरज उगा श्रमिकों की दुनिया में
कार्यक्रम का समापन तालियों और भावनाओं के संग हुआ। यह आयोजन केवल एक दिन की खुशी नहीं था, बल्कि श्रमिकों के आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर एक नई शुरुआत थी।
खबरी की पड़ताल
जब देशभर में श्रमिकों की हालत पर बहसें होती हैं, तब डैडीज़ ब्रिक्स जैसे संस्थान ये दिखाते हैं कि बदलाव सिर्फ नीतियों से नहीं, नियत से आता है।
यह आयोजन सिर्फ रिपोर्टिंग की खबर नहीं, बल्कि एक मिशन की दस्तावेज़ी कहानी है।

