एडिटर-इन-चीफ के.सी. श्रीवास्तव (Advocate)
“गुरुजनों के आशीर्वाद से जो पाया, उसे लौटाने की छोटी-सी कोशिश
✨ “जहाँ शिक्षा का सम्मान होता है, वहाँ समाज की आत्मा जीवित रहती है
चकिया, चंदौली ।
कभी इसी कॉलेज के विद्यार्थी रहे नगर पंचायत चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने बुधवार को एक ऐसा काम किया जिसने न केवल छात्रों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी, बल्कि पूरे जनपद में शिक्षा के प्रति नई सोच का संदेश भी दिया।



अपने पुरातन गुरुकुल — सावित्रीबाई फुले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चकिया — में लौटे गौरव श्रीवास्तव ने निजी धनराशि से ₹71,950 मूल्य की 270 पुस्तकें कॉलेज को भेंट कीं। इन पुस्तकों में हिंदी और समाजशास्त्र विषयों की प्रमुख संदर्भ और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी पुस्तकें शामिल हैं।
जैसे ही उन्होंने पुस्तकें महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. संगीता सिन्हा को ससम्मान भेंट कीं, पूरे परिसर में तालियों की गूंज उठी — और हर चेहरे पर “अपने ही पूर्व छात्र” की उपलब्धि पर गर्व झलक उठा।

“वादा किया था, आज निभा दिया” — मार्च में की गई घोषणा को किया पूरा
मार्च माह में टेबलेट वितरण समारोह के दौरान चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने घोषणा की थी —
“मैं अपने कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए जरूरी किताबें उपलब्ध कराऊँगा, ताकि किसी छात्र को पढ़ाई में कठिनाई न हो।”
और अब, उन्होंने अपनी उस प्रतिबद्धता को पूरा कर दिखाया।
बुधवार को जब वे अपने कॉलेज पहुँचे — वही गलियारे, वही कक्षाएँ, वही गुरुजन — तो जैसे पुरानी यादें लौट आईं। किताबें सौंपते हुए उन्होंने कहा —
“मैंने 1996 से 1999 तक इसी महाविद्यालय में अध्ययन किया। उस समय किताबों की कमी बहुत महसूस होती थी। आज जब कुछ करने की स्थिति में हूँ, तो अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से मिली इस सफलता को उसी कॉलेज को समर्पित करना चाहता हूँ, जिसने मुझे सोचने और बढ़ने की दिशा दी।”
💬 “यह दान नहीं, यह ऋण चुकाने की शुरुआत है” — गौरव श्रीवास्तव
चेयरमैन ने भावुक होते हुए आगे कहा —
“सच्ची सफलता वही है जो समाज और शिक्षा के क्षेत्र में दूसरों के काम आए। आज जब मैं छात्रों को इन पुस्तकों को हाथों में लेकर मुस्कुराते देखता हूँ, तो महसूस होता है कि यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा निवेश है।”
उनका यह वक्तव्य सुनकर सभागार में उपस्थित छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।
प्राचार्या डॉ. संगीता सिन्हा बोलीं — “ऐसे विद्यार्थी कॉलेज का गौरव हैं”
प्राचार्या डॉ. संगीता सिन्हा ने चेयरमैन के इस संवेदनशील कदम की सराहना करते हुए कहा —
“आज के युग में जब लोग अपने कॉलेज से दूर होते चले जाते हैं, गौरव जी का यह कदम समाज को एक बड़ा संदेश देता है। उन्होंने जो किया है, वह अनुकरणीय उदाहरण है। यह पुस्तक दान न सिर्फ छात्रों को समृद्ध करेगा बल्कि अन्य पूर्व छात्रों को भी प्रेरित करेगा।”
उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों से कॉलेज का पुस्तकालय अब और मजबूत होगा और विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद मिलेगी।
शिक्षकों ने जताया आभार — “गुरु-शिष्य परंपरा का पुनर्जागरण”
महाविद्यालय के शिक्षकों डॉ. मिथिलेश सिंह, डॉ. अमिता सिन्हा, डॉ. सरवन यादव आदि ने गौरव श्रीवास्तव के इस योगदान को “सच्ची शिक्षा-सेवा की मिसाल” बताया।
उन्होंने कहा —
“आज के युग में जहाँ विद्यार्थी नौकरी और प्रतिष्ठा तक सीमित हो जाते हैं, वहीं गौरव जी जैसे लोग शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। यह कदम गुरु-शिष्य परंपरा की आत्मा को पुनर्जीवित करता है।”
🎓 छात्रों में उमंग — “अब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी होगी आसान”
छात्रों ने कहा कि अब उन्हें अध्ययन सामग्री के लिए बाहर नहीं भागना पड़ेगा।
कक्षा बी ए की छात्रा ने कहा —
“गौरव सर ने हम सबके लिए जो किया है, उससे कॉलेज की पहचान और बढ़ेगी। अब हमें किताबों की कमी नहीं झेलनी पड़ेगी।”
एक अन्य छात्र ने मुस्कुराते हुए कहा —
“ये सिर्फ किताबें नहीं हैं, ये हमारे लिए प्रेरणा हैं कि जब हम सफल हों, तो अपने संस्थान को कुछ लौटाएँ।”
🌟 ख़बरी न्यूज़ का संपादकीय दृष्टिकोण
कभी-कभी समाज को बदलने के लिए बड़ी घोषणाओं की नहीं, बल्कि एक सच्चे भावनात्मक संकल्प की जरूरत होती है।
चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने जो किया, वह “सेल्फलेस सर्विस” की उस भावना का प्रतीक है, जहाँ व्यक्ति अपने मूल — अपनी शिक्षा, अपने गुरु, और अपने संस्थान — को नहीं भूलता।
ख़बरी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ के.सी. श्रीवास्तव (Advocate) ने इस पहल को “शिक्षा के क्षेत्र में जनप्रतिनिधि की असली जिम्मेदारी” बताया। उन्होंने कहा —
“यह सिर्फ एक पुस्तक दान नहीं, बल्कि शिक्षा के मंदिर में श्रद्धा का अर्पण है। समाज ऐसे कदमों से ही बदलता है।”
💫 “गौरव श्रीवास्तव ने यह साबित किया — ‘गौरव’ सिर्फ नाम नहीं, कर्म से बनता है”
आज जब राजनीति और समाज में भरोसे की कमी की चर्चा होती है, तब गौरव श्रीवास्तव जैसे जनप्रतिनिधि इस विश्वास को फिर से जीवित कर देते हैं कि सेवा और संवेदनशीलता ही असली नेतृत्व की पहचान है।
🔖 संक्षेप में:
- 📘 चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने निजी धन से ₹71,950 की 270 पुस्तकें भेंट कीं।
- 🏫 पुस्तकों को सावित्रीबाई फुले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चकिया को सौंपा गया।
- 🎓 प्राचार्या और शिक्षकों ने जताया आभार, छात्रों में उमंग की लहर।
- 🕊️ शिक्षा के प्रति समर्पण और गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत उदाहरण बना यह योगदान।
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