
🕯️ चंदौली के जगदीशपुर में दर्दनाक हादसा — दीपावली की खुशियों से पहले ही उजड़ गया घर 🕯️

📍 Khabari News | रिपोर्ट — चंदौली ब्यूरो | संपादक-इन-चीफ: के.सी. श्रीवास्तव (Adv.)
कभी-कभी ज़िंदगी इतनी बेरहम हो जाती है कि जो त्यौहार की रोशनी जलाने निकलता है, वही खुद अंधेरे में समा जाता है।
चंदौली ज़िले के धानापुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर गांव में मंगलवार की सुबह एक ऐसी ही दर्दनाक घटना घटी — 27 वर्षीय अर्चना देवी की करेंट लगने से मौत हो गई।
🌾 सुबह की साधारण दिनचर्या, जिसने बना दी ज़िंदगी की आखिरी सुबह
मंगलवार का दिन था… सुबह करीब 9 बजे का वक्त।
गांव की हवा में दीपावली की तैयारियों की खुशबू घुली थी।
अर्चना देवी — गोपाल राम की बहू, अरविंद की पत्नी —
हर रोज़ की तरह सुबह का भोजन बना रही थीं, बच्चों को संभाल रहीं थीं, और त्यौहार की सफाई में लगी थीं।
दीपावली आने वाली थी, तो उन्होंने सोचा, “चलो आज घर की लीपाई-पोताई पूरी कर लूँ, ताकि लक्ष्मीजी प्रसन्न हों।”
घर की मिट्टी की दीवारों पर गोबर-मिट्टी का लेप लगाया, आँगन में पानी छिड़का, सब कुछ चमका दिया।
फिर, थकी हुई हथेलियों से उन्होंने बस इतना किया —
एक फर्राटा पंखे का मुँह अपनी ओर घुमाने की कोशिश।
और यहीं से ज़िंदगी का सिलसिला रुक गया।

⚡ पंखे में पहले से उतर चुका था करेंट,
अर्चना जैसे ही पंखे को छूती हैं,
एक पल में उनका शरीर झटका खाकर गिर जाता है।
घर में हलचल मच जाती है।
बच्चे रोने लगते हैं,
पति अरविंद दौड़ते हैं,
गाँव वाले जुट जाते हैं…
पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अर्चना अब नहीं रहीं।
सिर्फ उनके दो छोटे बच्चे —
एक 6 साल का बेटा, और एक 15 महीने का दूधमुंहा बच्चा,
माँ की ममता से हमेशा के लिए वंचित हो गए।



💔 दीपावली के दिए बुझ गए, आँगन में पसरा मातम
जिस आँगन में कुछ देर पहले दीवारें लीपी जा रही थीं,
जहाँ मिट्टी की खुशबू थी,
वहीं अब मातम पसरा था।
अर्चना का शरीर शांत पड़ा था,
पर आँखें जैसे अब भी पूछ रही थीं —
“क्या मेरी गलती बस इतनी थी कि मैंने एक पंखा छू लिया?”
🚨 मौके पर पहुँची पुलिस, पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव
सूचना मिलते ही धानापुर पुलिस पहुँची।
शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय, चंदौली भेजा गया।
परिवार के लोगों की हालत रो-रोकर बेहाल थी।
गांव में हर किसी की आँखें नम थीं —
किसी की बहन, किसी की बेटी, किसी की बहू…
सबकी अपनी अर्चना चली गई थी।
🧒 पीछे छूटे बच्चे — जिनकी आँखों में अब सिर्फ सवाल हैं
एक बच्चा बार-बार दरवाजे की ओर देखता है,
जैसे कह रहा हो — “माँ कब आएगी?”
दूसरा दूधमुंहा बच्चा बेसुध होकर रोता जा रहा है,
शायद उसे अभी पता भी नहीं कि उसकी माँ अब कभी नहीं लौटेगी।
यह दृश्य किसी के भी दिल को चीरकर रख देता है।
💬 पड़ोसी बोले — “सहमी हुई दीपावली है इस बार”
गांव के लोगों ने बताया —
“अर्चना बहुत ही सीधी-सादी और मेहनती औरत थी। हर त्यौहार पर सबसे पहले घर सजाती, बच्चों के कपड़े तैयार करती।
आज उसी का घर उजड़ गया। दीपावली की रोशनी अब उसके घर के लिए नहीं, बल्कि उसकी याद में दीए जलेंगे।”
⚠️ बिजली विभाग के लिए बड़ा सवाल
यह हादसा सिर्फ एक घर की कहानी नहीं है,
यह बिजली सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाता है।
क्या हमारे गाँवों में अब भी अर्थिंग की व्यवस्था, पंखों और वायरिंग की जाँच,
सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है?
हर साल सैकड़ों लोग करेंट की चपेट में आकर मर जाते हैं,
फिर भी “सावधानी” सिर्फ नारे बनकर रह जाती है।
🕯️ मां के बिना दीपावली
अब जब जगदीशपुर में दीपावली की रात आएगी,
कहीं एक घर के दरवाज़े पर दिया तो जलेगा,
लेकिन उसके पीछे बैठे होंगे वो दो बच्चे,
जो माँ को पुकारेंगे —
“माँ, देखो, हमने दीया जलाया है…”
पर कोई जवाब नहीं आएगा।
💭 Khabari News की अपील
👉 बिजली विभागों से —
गाँवों में हर घर की वायरिंग और अर्थिंग की जाँच ज़रूरी की जाए।
👉 आम लोगों से —
पानी में भीगे हाथों से किसी भी इलेक्ट्रिक उपकरण को न छुएँ।
👉 समाज से —
ऐसे परिवारों की मदद करें, जिनकी खुशियाँ हादसों ने छीन लीं।
🕯️ अर्चना देवी की याद में एक मोमबत्ती ज़रूर जलाइए…
क्योंकि हर घर में कोई अर्चना होती है,
जो अपनी दुनिया के लिए दिन-रात मेहनत करती है। 🕯️
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