
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क नई दिल्ली।
जवन धरती से उठल नवादा के सोन, साहित्य अउर पत्रकारिता के अमर योद्धा राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ अब हमनी के बीच में नइखन। 17 अक्टूबर 2025 के दिन ई धरती से उड़ गइल, बाकिर उनका नाम, उनका सोच, उनका लेखनी अउर उनका कार्य हमेशा जिन्दा रही।
भोजपुरी माटी से उठल ई आदमी, जवन साहित्य, संस्कृति अउर पत्रकारिता खातिर अपना जिनगी के हर पल समर्पित कइले रहे, उनका निधन से मगही साहित्य जगत में एगो खालीपन बन गइल। प्रोफेसर (डॉ.) नागेंद्र नारायण, अंतरराष्ट्रीय महासचिव, विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली कहले—“रत्नाकर जी ना केवल मगही साहित्य खातिर, बल्कि पूरा भारत के सांस्कृतिक चेतना खातिर अमूल्य रहलें। उनका जीवन एगो मिशन रहल—साहित्य, समाज अउर संस्कृति के उत्थान।”
📜 साहित्य अउर संस्कृति में अमर योगदान
उनकर लेखनी में मगध के गाँव के खुशबू, किसान-मजदूर के संघर्ष अउर लोकगाथा के जादू रहे। उनके लेखन से समाज के चेतना, संस्कृति अउर भाषा के रौनक बढ़ल।
हिन्दी रचनाएँ:
‘संस्कृति संगम’, ‘आस्था का दर्शन’, ‘बलिदान’, ‘शहीद’, ‘लोकगाथाओं का सांस्कृतिक मूल्यांकन’, ‘ब्रह्मर्षिकुल भूषण’, ‘बजरंगी रु-ब-रु’, ‘सृष्टि-दृष्टि (2024)’
मगही रचनाएँ:
‘गाँव के लक्ष्मी’, ‘राजगीर दर्शन’, ‘पगडंडी के नायक’, ‘मरघट के फूल’, ‘मगध के संस्कृति’, ‘फगुनी के याद’, ‘कोलसार’, ‘विविधा’, ‘अन्नदाता’, ‘मगही में मगध (2024)’
ई किताबन में मगध के लोक संस्कृति, ग्राम्य जीवन, किसान-मजदूर के संघर्ष अउर समाज के भावना के जीवंत कइल गइल। उनका लेखनी पढ़ते ही लोग के मन में अपन गाँव, अपन मिट्टी, अपन संस्कृति के महक जाग जाले।



📰 पत्रकारिता में निष्ठा के मिसाल
रत्नाकर जी पत्रकारिता में भी एगो मिसाल रहलें। नवादा जिला श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष (1996–2000) अउर बिहार प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के संगठन सचिव (2002) रहल रत्नाकर जी हमेशा निष्पक्षता, समाजसेवा अउर जनहित के प्रतीक बनल रहले।
त्रैमासिक ‘मगही संवाद’ के संपादक के रूप में उन्होंने समाज में साहित्यिक चेतना के बीजारोपण कइल। उनका लेखनी से गाँव के लोग, नवजवान, महिला और बच्चा सब प्रभावित भइल। उनका शब्दन में एगो जादू रहे—जवन पढ़े वाला के भीतर से हिला दे।

🏆 पुरस्कार और सम्मान
रत्नाकर जी के जीवन सम्मान अउर पुरस्कार से भरल रहे:
- राष्ट्रीय हिन्दी सहस्राब्दी सम्मान (2000) – संयुक्त राष्ट्र संघ
- मगही मगध नागरिक संघ, कलकत्ता सम्मान
- बिहार सरकार कला एवं संस्कृति विभाग सम्मान
- मगही अकादमी, गया अउर बिहार मगही अकादमी सम्मान
- ‘मगध शिरोमणि’, ‘हिन्दी साहित्य मनीषी’, मगही रत्न 2024, जिला प्रशासन नवादा सम्मान (2018)
ई पुरस्कार उनका समाजिक अउर साहित्यिक योगदान के सराहना के रूप में देहल गइल।
🌟 समाज और संस्कृति में भूमिका
रत्नाकर जी 160 से अधिक साहित्यिक अउर सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अउर अध्यक्ष बनल। आकाशवाणी अउर दूरदर्शन पर उनका वार्तालाप समाज में जागरूकता के माध्यम बनल। उनका व्यक्तित्व में एगो अलग ही चमक रहे—साधारण बनल लेकिन हर कदम पर समाज, भाषा अउर संस्कृति के सेवा।
उनका जीवन के हर पल एगो मिशन रहल—मगही के जन-जन तक पहुँचावल, साहित्य के आदर्श बनावल, अउर समाज के सच्चाई से रूबरू करावल। उनका लेखनी में गाँव के बच्चा से लेके बुजुर्ग तक सबके लिए संदेश रहे—अपन संस्कृति के प्यार, अपन भाषा के सम्मान अउर समाज के प्रति जिम्मेदारी।
💔 अंतरराष्ट्रीय शोक और सम्मान
विश्व मगही परिषद् के सदस्य लालमणि विक्रांत, प्रो डॉ शिवेंद्र नारायण सिंह, कविवर राजकुमार प्रसाद, नरेंद्र प्रसाद सिंह, दिलीप कुमार अउर प्रोफेसर (डॉ.) नागेंद्र नारायण कहले—“रत्नाकर जी मगही के भारतेन्दु अउर दधीचि रहलन। उनका कार्य, उनका लेखनी हमेशा हमनी के प्रेरित करी।”
🤝 शोक व्यक्त करे वाला लोग
मिथिलेश सिंह, जयप्रकाश सिंह, जयनंदन सिंह, किरण कुमारी, गोपाल जी, चुनचुन पांडेय, पूनम कुमारी, सुमंत, राजेन्द्र राज, अरविन्द कुमार, सोनिया शर्मा, भागीरथ वर्मा, संतोष गुफानी, दयानन्द प्रसाद गुप्ता, महेन्द्र प्रसाद देहाती, अरविन्द अंजाना, डॉ. रविशंकर शर्मा, गुड़िया, डॉ. उमाशंकर सिंह, प्रभात वर्मा, रंजन जी (चीन), अनिल जी (अमेरिका) आदि लोग शोक व्यक्त कइले।
🌹 स्मृति में अमर रहेगा ‘मगही रत्न’
विश्व मगही परिषद् के तरफ से निर्णय भइल बा कि हर साल स्मृतिशेष रत्नाकर जी के नाम पर “मगही रत्न रत्नाकर स्मृति मगही साहित्य सम्मान” दीहल जाई। उनका जीवन, आदर्श और योगदान हमनी के हमेशा प्रेरित करत रही।
ई पोस्ट पढ़ते ही आप महसूस करब कि रत्नाकर जी के जीवन एगो पूरा फिल्म नियर रहल—संघर्ष, समर्पण, साहित्य, पत्रकारिता अउर समाज सेवा के एक्शन से भरल। उनका लेखनी एगो ऐसा जादू बा, जवना में गाँव के मिट्टी के खुशबू, लोक संस्कृति के रंग, समाज के सचाई अउर मानवता के संवेदना समाहित बा।
हमनी के वचन बा: उनका आदर्श अउर उनका योगदान के हम हमेशा याद रखब। उनका लेखनी के पढ़ के नई पीढ़ी समाज के सुधार, भाषा के संरक्षण अउर संस्कृति के संवर्धन में जुटी। रत्नाकर जी के नाम अउर उनका योगदान सदैव अमर रही।
🙏 शोकगुल मगहिया परिवार के तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि!
प्रोफेसर (डॉ.) नागेंद्र नारायण
अंतरराष्ट्रीय महासचिव, विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली



