Pahalgam terrorist attack : आतंक पर वोट की चुप्पी क्यों? तुष्टिकरण से राष्ट्रहित तक की लड़ाई
विशेष रिपोर्ट | Khabari न्यूज़ नेशनल नेटवर्क
15 अप्रैल की शाम, जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगांव की फिजाओं में अचानक चीखें गूंज उठीं। बटपोरा इलाके में हुआ आतंकी हमला न सिर्फ सुरक्षाबलों पर सीधा प्रहार था, बल्कि उस राजनीतिक सोच पर भी तमाचा था जो देश की सुरक्षा के मसले को भी धर्म और वोटबैंक के तराजू पर तौलती है।
यह महज हमला नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और वैचारिक चुनौती है, जो बार-बार पूछ रही है – क्या आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई ईमानदार है?
Pahalgam terrorist attack
हमले की बारीकी: आतंकियों की रणनीति और सुरक्षा बलों का जवाब
शाम करीब 6:15 बजे दो आतंकियों ने बटपोरा के पास एक पेट्रोलिंग पार्टी पर अचानक ग्रेनेड फेंका और फिर ऑटोमैटिक हथियारों से गोलियों की बौछार कर दी। हमले में 4 जवान शहीद हो गए और 3 गंभीर रूप से घायल हुए। सुरक्षाबलों ने तत्परता दिखाते हुए दो आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया।
प्राथमिक जांच में पता चला है कि ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के लोकल मॉड्यूल से जुड़े थे और इनकी साजिश में सीमा पार से मदद मिली थी।
घटनास्थल पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारी और नेताओं की सक्रियता
हमले के कुछ ही घंटों में पूरे प्रशासनिक और सुरक्षा ढांचे में हलचल मच गई। इन प्रमुख हस्तियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया:
लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा – शहीदों को श्रद्धांजलि दी और अस्पताल में घायलों से मुलाकात की।
NSA अजित डोभाल – उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की और NIA को केस सौंपा।
गृह मंत्रालय के विशेष प्रतिनिधि विजय कुमार – CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना के अधिकारियों से सामूहिक समीक्षा बैठक की।
BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा – उन्होंने विपक्षी दलों पर आतंकवाद के खिलाफ नरमी बरतने का आरोप लगाया।
राष्ट्र सृजन अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पी. के. सिन्हा और उपाध्यक्ष डॉ. परशुराम सिंह –ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और प्रेस वार्ता कर सरकार से निर्णायक कार्रवाई की मांग की।
तुष्टिकरण की राजनीति और वोट बैंक का सौदा
हमले के तुरंत बाद देशभर में बहस छिड़ गई – आखिर कब तक कुछ राजनीतिक दल आतंक और धार्मिक कट्टरता के बीच तुष्टिकरण का पुल बनाते रहेंगे?
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, RJD नेता तेजस्वी यादव, और SP अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आरोप है कि वे बार-बार ऐसे बयान देते हैं जो न केवल समाज को विभाजित करते हैं, बल्कि कट्टरपंथी विचारों को वैचारिक आक्सीजन भी देते हैं।
सवाल ये है:
जब कोई आतंकी गतिविधि होती है, तो क्या बयान इस आधार पर तय होते हैं कि हमलावर किस धर्म से हैं?
राजनीतिक ध्रुवीकरण: वोट के लिए आतंक पर चुप्पी
तेजस्वी यादव ने हमले को “सरकारी नाकामी” बताया, ओवैसी ने कहा – “हम सबके लिए सुरक्षा चाहते हैं”, लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि – “आतंकी चाहे किसी भी मजहब से हों, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।”
क्या यह वोट बैंक की राजनीति नहीं है?
जब “सॉफ्ट सेकुलरिज्म” के नाम पर आतंकी गतिविधियों की निंदा करने में संकोच हो, तो ये न सिर्फ लोकतंत्र, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा है।
राष्ट्र सृजन अभियान की कड़ी प्रतिक्रिया
डॉ. पी. के. सिन्हा, राष्ट्र सृजन अभियान के अध्यक्ष ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“यह हमला सिर्फ सैनिकों पर नहीं, भारत की अस्मिता पर था। अब वक्त आ गया है कि राजनीति राष्ट्रहित के आगे झुके, न कि वोटबैंक के इशारों पर चले।”
डा परशुराम सिंह, जो पर्यावरण और सामाजिक संघर्षों से जुड़े रहे हैं,ने कहा –
“आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई तभी सार्थक होगी जब हम धर्म और जाति से ऊपर उठकर सोचें। तुष्टिकरण को समाप्त करना ही राष्ट्रवाद का पहला चरण है।”
सोशल मीडिया पर जन आक्रोश:
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर युवाओं ने स्पष्ट रूप से कहा – “तुष्टिकरण नहीं, न्याय चाहिए। वोट नहीं, सुरक्षा चाहिए।”
“#JusticeForMartyrs”, “#StopAppeasementPolitics”, और “#PahalgamTruth” जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं। लाखों यूज़र्स ने AIMIM, RJD और SP जैसे दलों की आलोचना करते हुए कहा कि अब देश ऐसे नेताओं को माफ नहीं करेगा जो सिर्फ चुनावी फायदे के लिए आतंक पर चुप्पी साधते हैं।
Silver Bells
सरकार की त्वरित कार्रवाई:
गृह मंत्रालय ने तत्काल ऑपरेशन क्लीन शुरू किया, जिसमें 15 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है।
NIA को केस सौंपा गया है और आतंकियों के नेटवर्क की जांच की जा रही है। NSA की निगरानी में आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क को तोड़ने की कार्यवाही भी तेज़ हो गई है।
क्या हम अब भी नहीं चेते?
पहलगांव हमला सिर्फ एक ‘घटना’ नहीं है, यह एक ‘चेतावनी’ है।
जब नेता बयान देंगे और आतंक पर चुप रहेंगे,
जब वोटबैंक के लिए न्याय से समझौता होगा,
जब आतंकी मस्जिदों के पीछे छिपेंगे और कोई पूछने वाला नहीं होगा,
तो फिर पहलगांव जैसी घटनाएं बार-बार होंगी।
राष्ट्र या राजनीति – अब चुनने का समय
देश के सामने अब स्पष्ट विकल्प है – राष्ट्र सर्वोपरि या वोट सर्वोपरि?
खबरी न्यूज़ Portal आपसे यही सवाल पूछता है –
क्या आप उस राजनीति के साथ हैं जो आतंकी पर चुप रहती है?”
“उस विचारधारा के साथ, जो देश के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है?”
लेखक नोट: खबरी न्यूज़ Portal सच्चाई की पत्रकारिता में विश्वास रखता है। हम हर उस आवाज़ को उठाएंगे जो राष्ट्रहित में है, और हर उस चुप्पी को तोड़ेंगे जो देश की सुरक्षा के खिलाफ है।
The Pahalgam terrorist attack in the scenic valleys of Kashmir was more than just a tragedy—it was a test of India’s resolve. As gunshots echoed across Pahalgam’s serene landscapes, the Indian government rose to the occasion with a firm, no-nonsense response led by Defence Minister Rajnath Singh.
A Visit That Spoke Volumes: Rajnath Singh’s Ground-Level Review
Just a day after the Pahalgam terrorist attack, Rajnath Singh arrived in Srinagar and Pahalgam. He paid tribute to the martyred soldiers, met with the injured, and held closed-door meetings with senior military and intelligence officials.
Addressing the media, Rajnath Singh declared:
“We believe in retaliatory action. The response will not only shake the terrorists but also those who shelter and support them.”
His words quickly made headlines as India’s firm response to the Pahalgam terrorist attack gained international attention.
India’s Strategic Message: Ancient Civilization, Modern Resolve
Rajnath Singh emphasized that while India is one of the world’s oldest civilizations, it must not be mistaken for weakness. He said:
“India’s patience should not be misunderstood. Every drop of blood shed will be accounted for.”
This message was not just political rhetoric—it was a clear strategic warning in the aftermath of the Pahalgam terrorist attack.
‘Zero Tolerance’ Becomes Actionable Policy
The Pahalgam terrorist attack has triggered what experts are calling a visible shift in India’s counter-terrorism doctrine. Rajnath Singh indicated that the Zero Tolerance Policy would now be enforced with sharper precision:
“The language of terrorists will be understood both across the border and within it.”
Sources confirmed that Indian security agencies have been granted “free hand” operational authority, a decisive policy move that echoes past responses to major terrorist incidents.
Military Mobilization: A Silent Storm Rising in Pahalgam
Following the Pahalgam terrorist attack, joint teams from the Army, CRPF, and J&K Police initiated an aggressive search and containment operation in Pahalgam and adjoining areas.
Several suspects were taken into custody as aerial surveillance and ground-level cordons intensified. Rajnath Singh, while boosting soldier morale, stated:
“You are not just defending borders—you are defending India’s identity. From bullets to budgets, the government is with you.”
This public declaration, following the Pahalgam terrorist attack, reinforced the nation’s trust in its armed forces and sent a strong message to adversaries.