
खबरी न्यूज़ की पड़ताल
ऊँचे पद, बड़ी कुर्सियाँ और सजी-संवरी घोषणाएँ… किंतु चंदौली की प्रकृति आज भी पहचान को तरसती है। क्या यही है सुशासन का सच?”
पूर्वांचल का सौंदर्य, लेकिन उपेक्षा की मार
उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद में स्थित राजदरी-देवदरी जलप्रपात, प्रकृति की अनुपम देन हैं। ऊँची पहाड़ियों से गिरते झरनों की गूंज, हरियाली का विस्तार और अनछुए पर्यटन की संभावनाएँ — सब कुछ है, सिवाय सरकारी मान्यता के।
इन स्थानों की दुर्गति सिर्फ इस लिए कि वे शीर्षस्थ नेतृत्व के पैतृक क्षेत्र में आते है
देश में ऐसे सैकड़ों स्थल पर्यटक स्थलों के रूप में घोषित किए गए, जहाँ राजदरी-देवदरी से आधा भी सौंदर्य न होगा। तो फिर चंदौली क्यों उपेक्षित?


नेता बड़े, सोच छोटी — चकिया कब जागेगा?”
जहां मुलायम सिंह ने सेफई को मिनी सिंगापुर बना डाला,
कल्पनाथ राय ने गाज़ीपुर को चमका दिया,
नरेंद्र मोदी ने काशी को दुनिया के नक्शे पर पुनः उकेर दिया…वही मुलायम सिंह ने सेफई को मिनी सिंगापुर बना डाला,
कल्पनाथ राय ने गाज़ीपुर को चमका दिया,
नरेंद्र मोदी ने काशी को दुनिया के नक्शे पर पुनः उकेर दिया…
क्या चकिया की यही नियति है?
- जहाँ न सड़कों पर चमक है, न पहाड़ों को पहचान मिली,
- जहाँ राजदरी-देवदरी जैसे रत्न आज भी सरकारी उपेक्षा के अंधेरे में पड़े हैं।
- क्या इसलिए कि चकिया अनुसूचित सीट है?
- क्या इसलिए कि यहां के लोग सवाल नहीं पूछते?
चुप हैं राजनाथ सिंह जी?
आपकी चुप्पी सिर्फ एक इलाका नहीं दबा रही —
यह पूरे पूर्वांचल की उम्मीदों का गला घोंट रही है।
सत्ता जब अपनों को भूल जाए, तब वो सिर्फ शासन नहीं, सौदा बन जाती है।”
कई मंत्री, एक चुप्पी
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व कौशल विकास मंत्री महेन्द्रनाथ पाण्डेय, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ — सबके सब सत्ता के शीर्ष पर बैठे हैं। किंतु चंदौली की राजदरी-देवदरी के विषय में सब मौन क्यों हैं?
क्या इन स्थानों की गलती सिर्फ इतनी है कि वे ‘वीआईपी’ क्षेत्रों में नहीं आते?
घोषणाओं की राजनीति, धरातल पर सूनापन
राजनाथ सिंह ने अपने चंदौली दौरे में राजदरी-देवदरी को “पर्यटन की अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र” बताया था। वही बात स्थानीय सांसदों और विधायकों ने भी कही। जिलास्तर पर प्रस्ताव भी तैयार हुए, रिपोर्ट बनीं, दौरे हुए — परंतु घोषणा आज तक नहीं हुई।
प्रश्न यह है कि जब सब कुछ तैयार है, तो निर्णय की देरी क्यों?
पर्यटन नहीं, सिर्फ प्रचार
आजकल कुछ मंत्रीगण इन स्थलों पर जाते हैं, कैमरों के सामने मुस्कुराते हैं, ट्वीट करते हैं — “जल्द ही पर्यटन स्थल घोषित किया जाएगा”। परंतु यह “जल्द” कब आएगा?
झूठे वादों की चमक और सोशल मीडिया की चकाचौंध में चंदौली की सच्चाई खोती जा रही है।
डबल इंजन सरकार, किंतु इंजन फुस्स?
जब एक ही पार्टी की सरकार केंद्र और राज्य — दोनों स्तरों पर हो, तब विकास कार्यों में तेजी आनी चाहिए। परंतु चंदौली जैसे जिले आज भी विकास के नक्शे पर धुंधले क्यों हैं?
क्या पूर्वांचल केवल भाषणों में आता है? क्या यहाँ की जनता का हक़ नहीं?
राजनाथ सिंह की चुप्पी — संयम या अनदेखी?
देश के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले राजनाथ सिंह का मौन अब सवाल खड़ा करता है। जब हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों के छोटे झरने भी पर्यटन स्थल बन सकते हैं, तो राजदरी-देवदरी क्यों नहीं?
क्या यह विषय उनकी प्राथमिकता सूची में ही नहीं?
पर्यटन स्थल घोषित करने के लाभ
- स्थानीय रोज़गार: होटल, गाइड, हस्तशिल्प, खानपान आदि से सैकड़ों लोगों को आय के साधन मिलेंगे।
- प्राकृतिक संरक्षण: सरकारी अधिसूचना मिलने से क्षेत्र का बेहतर रखरखाव होगा।
- संस्कृतिक उत्थान: स्थानीय परंपराओं, गीत-संगीत और वेशभूषा को नई पहचान मिलेगी।
- शिक्षा और शोध: पर्यावरण और पर्यटन छात्रों के लिए यह स्थल शोध का केंद्र बन सकता है।
सवाल अब जनता से भी
सरकारें तब तक मौन रहती हैं, जब तक जनता सवाल नहीं पूछती। क्या हम इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि हमारे प्राकृतिक रत्न गुमनामी में खो जाएँ और हम चुप रहें?
वक्त है कि जनता राजनाथ सिंह, पर्यटन मंत्री और मुख्यमंत्री से सीधे सवाल करे —
“राजदरी-देवदरी को अब तक पर्यटन स्थल क्यों नहीं बनाया गया?”
अंतिम प्रश्न — क्या चंदौली का हक़ छीन लिया गया है?
“जहाँ सरकारें सुनती नहीं, वहाँ जनता की चुप्पी सबसे बड़ा अपराध बन जाती है।”
राजनाथ सिंह जी, यदि आप पूर्वांचल के बेटे हैं, तो चंदौली के इस गौरव को उसका अधिकार दिलाइए। नहीं तो यह इलाका आपकी चुप्पी को एक ऐतिहासिक उपेक्षा के रूप में याद रखेगा।
खबरी के साथ सोशल मीडिया पर उठाइए आवाज़:
राजदरी देवदरी को पर्यटन स्थल_बनाओ
चंदौली की उपेक्षा कब तक
राजनाथ सिंह जवाब_दो
विकास या केवल_वोटबैंक
Justice For Rajdari Devdari

