
Chauhan Sammelan

लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित चौधरी चरण सिंह सहकारिता भवन आज उस समय ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बना जब चौहान समाज का प्रदेश स्तरीय एक दिवसीय प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन वहाँ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन ने न केवल सामाजिक एकता का संदेश दिया बल्कि चौहान समाज के भविष्य को लेकर एक ठोस दृष्टिकोण भी सामने रखा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय एडवोकेट श्री नवाब सिंह चौहान, उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने की, जो वर्षों से समाज के हितों की लड़ाई न्यायपालिका के स्तर पर भी लड़ते रहे हैं। वहीं सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक माननीय श्री शिवशंकर चौहान शामिल हुए, जिन्होंने अपने ओजस्वी भाषण में समाज को आत्मविश्लेषण और आत्मसंगठन का सशक्त संदेश दिया। कार्यक्रम के संयोजक श्री अजय चौहान और सह-संयोजक श्री सुरेंद्र चौहान ने आयोजन को सफल बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया, जबकि संचालन की जिम्मेदारी प्रधानाचार्य श्री भयानक सिंह चौहान ने संभाली और पूरे कार्यक्रम को अनुशासनपूर्ण ढंग से आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम संयोजक अजय सिंह चौहान का नेतृत्व बना प्रेरणा का केंद्र
सम्मेलन के सफल आयोजन का श्रेय कार्यक्रम संयोजक श्री अजय सिंह चौहान को जाता है, जिनके आह्वान पर उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से चौहान समाज के वरिष्ठ जन, बुद्धिजीवी, समाजसेवी और युवा प्रतिनिधि बड़ी संख्या में लखनऊ पहुँचे। अजय सिंह चौहान के नेतृत्व और समर्पण ने समाज के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार किया। प्रतिभागियों ने न केवल सम्मेलन की सार्थकता को सराहा, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि यह आयोजन सामाजिक जागरूकता, संगठनात्मक शक्ति और राजनैतिक चेतना के दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगा।
प्रदेश भर से आए प्रतिनिधियों ने अजय सिंह चौहान के नेतृत्व की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए यह संकल्प लिया कि समाज को एक मंच पर संगठित करने का यह प्रयास अब एक स्थायी आंदोलन में बदला जाएगा।
शिवशंकर चौहान का प्रेरक संबोधन
मुख्य अतिथि शिवशंकर चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिखरा हुआ समाज और बिखरा हुआ परिवार कभी भी राज करने वाला नहीं बन सकता, बल्कि आपसी फूट और मनमुटाव के चलते दूसरे समुदायों को शासक बनने का अवसर जरूर दे देता है। उनके शब्दों में दर्द भी था और चेतावनी भी। उन्होंने कहा कि भारत को आजादी मिले 78 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन चौहान समाज सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक स्तर पर आज भी अपेक्षाकृत पिछड़ा रह गया है।
उन्होंने खुलकर कहा कि आबादी में लगभग 4 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने के बावजूद चौहान समाज आज तक “जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी” के सिद्धांत के अनुसार न्याय नहीं पा सका है। उनके अनुसार, यदि कोई समाज राजनीति में निष्क्रिय और उदासीन रहेगा, तो अपने अधिकारों से भी वंचित रहेगा। उन्होंने युवाओं और बुद्धिजीवियों से अपील की कि समाज को राजनीतिक रूप से जागरूक होना पड़ेगा ताकि सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेकर समाज को सशक्त बनाया जा सके।
श्री चौहान ने उदाहरण देते हुए कहा कि सत्ता के गलियारों में वही समाज अपनी आवाज बुलंद कर पाता है, जो संगठित रहता है। उन्होंने आगाह किया कि यदि चौहान समाज ने संगठित होकर सत्ता की चाबी अपने हाथ में नहीं ली तो आने वाले दिनों में समाज को तिनके की तरह बेवजह, बेसहारा और बेआसरा बने रहना पड़ेगा।
राजनीतिक दलों की नीतियों पर तीखा प्रहार
अपने भाषण में शिवशंकर चौहान ने साफ कहा कि देश के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने चौहान समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि इन दलों ने तरह-तरह के प्रलोभन देकर समाज को छलने का काम किया है और जब काम निकल गया तो समाज को हाशिये पर डाल दिया गया। उन्होंने दो टूक कहा कि इन पार्टियों की नीति हमेशा यूज एंड थ्रो रही है, लेकिन अब समाज जागरूक हो चुका है और आने वाले समय में यदि आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं दी गई तो राजनीतिक दलों को इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
उनके शब्दों में गुस्सा और संकल्प दोनों झलक रहे थे। उन्होंने कहा कि चौहान समाज को अब ठान लेना चाहिए कि किसी भी कीमत पर उसे संगठित रहना है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को संघर्ष के बजाय अवसर मिल सके।
नवाब सिंह चौहान का आभार प्रदर्शन
कार्यक्रम के अध्यक्ष एडवोकेट नवाब सिंह चौहान ने सम्मेलन में आए प्रदेश भर के प्रतिनिधियों और प्रबुद्ध जनों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि समाज यदि एकजुट होकर अपने लक्ष्य की दिशा में निरंतर आगे बढ़े तो कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती। उनका कहना था कि चौहान समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, केवल सही दिशा और संगठित प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में भी इसी तरह एकजुटता और सहयोग की भावना का विस्तार करें, ताकि पूरे प्रदेश और देश में चौहान समाज को मजबूत बनाया जा सके।
सम्मेलन में उपस्थित विशिष्टजन
इस सम्मेलन में विशेष रूप से शोभा चौहान, पंकज सिंह चौहान, अवधेश चौहान, अनिल चौहान, डॉ. संजय सिंह चौहान, ओन प्रकाश चौहान, जगदीश सिंह टाइगर, प्रो. अजय चौहान, सत्येन्द्र चौहान, डॉ. सुरेश चौहान, इन्द्रेश चौहान, सुग्रीव चौहान, एडवोकेट अमरनाथ चौहान, कैलाश चौहान, रतिराम सिंह चौहान, मनोज कुमार चौहान, प्रो. विनय कुमार चौहान, ओम प्रकाश चौहान, अजय चौहान, विकास सिंह वाराणसी आदि ने भी अपने विचार साझा किए।
इनमें से कई वक्ताओं ने समाज के सामाजिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और राजनीतिक सशक्तिकरण जैसे विषयों पर भी गंभीर और ठोस सुझाव दिए। वक्ताओं ने कहा कि समाज को सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने भीतर आत्मनिर्भरता की भावना को भी मजबूत करना होगा।
चौहान समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
चौहान समाज भारतीय इतिहास में एक गौरवशाली और शौर्यपूर्ण पहचान रखता है। पृथ्वीराज चौहान जैसे महान सम्राट ने भारतीय उपमहाद्वीप में राजपूत वीरता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में इतिहास रचा। चौहान वंश ने मध्यकाल में कई किलों, गढ़ों और साम्राज्यों की स्थापना की और अपनी संस्कृति, परंपरा और स्वाभिमान के लिए सैकड़ों वर्षों तक लड़ाई लड़ी।
लेकिन, ब्रिटिश उपनिवेशवाद और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रमों ने इस समाज की ताकत को धीरे-धीरे कमजोर किया। सामाजिक ढाँचे में आए बदलाव, भूमि सुधार नीतियाँ, जातीय प्रतिस्पर्धा, और राजनीतिक उपेक्षा ने उत्तर प्रदेश पूर्वञ्चल में चौहान समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में धकेल दिया। इस दौरान समाज की राजनीतिक पकड़ कमजोर हुई, शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित रहे, और धीरे-धीरे चौहान समाज का एक बड़ा हिस्सा खेती-किसानी और मजदूरी जैसे पेशों में ही सीमित रह गया।
आजादी के बाद चौहान समाज को शासन और प्रशासन में हिस्सेदारी का अवसर मिलने की अपेक्षा थी, लेकिन वह अपेक्षा पूरी नहीं हो पाई। यही कारण है कि सम्मेलन में वक्ताओं ने बार-बार यह बात कही कि इतनी बड़ी आबादी होते हुए भी चौहान समाज को आबादी के अनुपात में भागीदारी नहीं मिली।
वर्तमान सामाजिक चुनौतियाँ
वर्तमान समय में चौहान समाज को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- शैक्षणिक पिछड़ापन : शिक्षा के क्षेत्र में समाज का प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत कमजोर है। उच्च शिक्षा में प्रवेश, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता और तकनीकी शिक्षा में भागीदारी अभी भी निचले स्तर पर बनी हुई है।
- आर्थिक चुनौतियाँ : कृषि पर निर्भरता अधिक है, लेकिन जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाने और संसाधनों की कमी के कारण चौहान समाज के किसान आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं।
- राजनीतिक उपेक्षा : वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल तो किया गया, लेकिन वास्तविक प्रतिनिधित्व, खासकर विधानसभा और संसद में, पर्याप्त संख्या में नहीं मिल सका।
- सामाजिक एकता की कमी : सबसे बड़ी चुनौती आपसी समन्वय और संगठन की है। समाज के भीतर जातीय उपवर्ग, व्यक्तिगत अहंकार, और छोटे-छोटे मतभेद भी अक्सर एकजुटता को बाधित करते हैं।
सम्मेलन के वक्ताओं ने कहा कि यदि समाज को अपनी ताकत को सही दिशा में लगाना है तो पहले इन चुनौतियों को ईमानदारी से पहचानना होगा और उनका समाधान निकालना होगा।
सम्मेलन का सामाजिक संदेश
लखनऊ में हुए इस सम्मेलन ने एक ठोस और प्रेरक सामाजिक संदेश दिया। शिवशंकर चौहान की भाषा में जो दृढ़ता थी, उसने उपस्थित प्रतिनिधियों में जोश भर दिया। उन्होंने बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा कि चौहान समाज को सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी होगी। अन्यथा, समाज की स्थिति बहने वाले तिनके की तरह ही रहेगी — बेमकसद, बेसहारा और बिना किसी ठोस पहचान के।
सम्मेलन में आए अन्य वक्ताओं ने भी यही बात दोहराई कि चौहान समाज को केवल चुनावी मौसम में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि सत्ता के बंटवारे में उनका कोई हक नहीं माना जाता। अगर आज भी समाज ने राजनीति में सक्रिय भागीदारी नहीं की, तो भविष्य में और भी अधिक पिछड़ने का खतरा रहेगा।
शिक्षा और युवाओं की भूमिका
सम्मेलन में विशेष रूप से युवाओं और छात्रों पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा, तकनीकी कौशल और प्रशासनिक सेवाओं में भागीदारी बढ़ानी होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में चौहान समाज के युवा अपना स्थान बनाएं, इसके लिए सामाजिक स्तर पर कोचिंग, छात्रवृत्ति, मार्गदर्शन और परामर्श जैसी व्यवस्थाओं को मजबूत करना जरूरी है।
डॉ. संजय सिंह चौहान और प्रो. अजय चौहान ने कहा कि शिक्षा के बिना समाज कभी भी सशक्त नहीं बन सकता। वे बोले कि शिक्षा ही वह औजार है, जिससे चौहान समाज सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठा सकता है।
महिलाओं की भागीदारी
सम्मेलन में महिलाओं की भूमिका पर भी विशेष चर्चा हुई। शोभा चौहान ने अपने वक्तव्य में कहा कि चौहान समाज की महिलाएँ यदि शिक्षित, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनेंगी, तो समाज की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
उन्होंने कहा कि बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर चौहान समाज को सामूहिक रूप से निवेश करना होगा, ताकि वे आने वाले समय में सामाजिक नेतृत्व की जिम्मेदारी भी निभा सकें।
रोजगार और स्वरोजगार के अवसर
सम्मेलन में वक्ताओं ने आर्थिक मुद्दों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि चौहान समाज को रोजगार के नए अवसर तलाशने होंगे। खेती के साथ-साथ लघु उद्योग, स्वरोजगार, व्यापार, और तकनीकी उद्यमिता में चौहान समाज के युवाओं को आगे आना चाहिए।
कई राज्यों में चौहान समाज के लोग छोटे उद्योग लगाकर अपने गाँव और इलाके में रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। उनका मानना था कि यदि यह मॉडल प्रदेश भर में अपनाया जाए तो बेरोजगारी कम हो सकती है और आर्थिक मजबूती बढ़ सकती है।