

खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क नौगढ‚चंदौली।
बरबसपुर गांव की 21 वर्षीय हिना की वज्रपात से मौत, पिता की मेहनत और बेटी के सपनों पर बिजली गिर गई
🕯️ एक दोपहर जो कभी नहीं भुलाई जाएगी
नौगढ़, चंदौली। रविवार की दोपहर लगभग तीन बजे का समय था। आसमान में काले बादल घिर आए थे, हवा तेज हो चुकी थी, और हल्की बारिश ने गाँव की गलियों को नम कर दिया था।
बरबसपुर गांव की 21 वर्षीय हिना अपने घर के आँगन में बैठी हुई थी, हमेशा की तरह घरेलू कामों में व्यस्त। न उसने सोचा था, न उसके परिवार ने — कि यह पल उनकी ज़िन्दगी का आखिरी सामान्य पल होगा।
हिना पर वज्रपात गिरा।
भयंकर आवाज़ के साथ जब बिजली कड़क कर जमीन पर गिरी, तो वह सीधे हिना को अपनी चपेट में ले गई।
वह मौके पर ही झुलस कर दम तोड़ गई।
👩👧 हिना कौन थी? एक बेटी, एक सपना, एक सहारा
हिना, नियामत अली की दूसरी संतान थी। परिवार में पांच भाई-बहनों में वह मध्य की बेटी थी — एक ऐसी बेटी, जो पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने माता-पिता का सहारा बनी थी।
- शिक्षा: तीन वर्ष पूर्व उसने इंटरमीडिएट पास किया था
- स्थिति: पढ़ाई के बाद वह घर पर रहकर घरेलू कामों और खेती-बाड़ी में हाथ बंटा रही थी
- सपना: पिता नियामत अली का सपना था कि 2025 में हिना की शादी धूमधाम से करे
एक ग्रामीण गरीब परिवार की एक होनहार बेटी, जो अपने सपनों के साथ-साथ पिता के सपनों को भी जी रही थी — आज वो सिर्फ एक खबर बनकर रह गई।
💔 मां की चीखें और परिवार का मातम
जब वज्रपात हुआ, तो कुछ ही सेकंड में हिना की मां तैरूननिशा बाहर दौड़कर पहुंचीं। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
हिना की झुलसी हुई देह देख उनकी चीखें पूरे गांव में गूंज उठीं।
गांव वालों ने उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन कैसे कोई मां अपनी जवान बेटी की मौत को सहन कर सकती है?
🏚️ एक मजबूर बाप की कहानी: मेहनत-मजदूरी से बेटी की शादी का सपना
नियामत अली, एक मेहनती ग्रामीण मजदूर हैं।
दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों को पालते हैं।
उन्होंने अपने हाथों से बेटी को पढ़ाया, उसकी देखभाल की और इस साल उसकी शादी की तैयारी में लगे थे।
“मैंने सोचा था इस बार रमज़ान के बाद रिश्ता पक्का करूंगा। लेकिन अब… अब क्या बचा है…” — नियामत अली की डबडबाई आँखों से निकला हर शब्द कलेजा चीर देने वाला था।
⚡ प्राकृतिक आपदा या प्रशासनिक लापरवाही?
जहां यह एक प्राकृतिक आपदा मानी जाती है, वहीं सवाल यह भी उठता है —
क्या ग्रामीण इलाकों में वज्रपात से बचाव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होनी चाहिए?
- क्या आकाशीय बिजली चेतावनी प्रणाली गांवों तक नहीं पहुंचनी चाहिए?
- क्या पब्लिक अलर्ट सिस्टम का विस्तार सिर्फ शहरों तक ही सीमित रहेगा?
- क्या ग्रामीणों को बिजली गिरने के जोखिम और सुरक्षा उपायों की जानकारी नहीं मिलनी चाहिए?
🧾 पुलिस की कार्रवाई: शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
घटना की सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार निषाद अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया।
प्रशासनिक प्रक्रिया के अनुसार, वज्रपात में मौत पर मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
📜 क्या कहती है सरकार की मुआवजा नीति?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आकाशीय बिजली से मौत की स्थिति में पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये तक का मुआवजा देने का प्रावधान है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या नियामत अली को समय से यह सहायता मिलेगी?
🧘♀️ सामाजिक जागरूकता की जरूरत
इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल उठा दिया है कि:
- क्या ग्रामीण इलाकों में आपदा प्रबंधन की पहुंच है?
- क्या ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि बारिश और बिजली के समय कैसे बचा जाए?
- क्या आवाज उठाने के लिए मीडिया और नागरिक समाज सक्रिय हो रहा है?
📲 सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज: #JusticeForHina
इस खबर के सामने आते ही स्थानीय फेसबुक ग्रुप्स, व्हाट्सएप चैट्स और ट्विटर पर #JusticeForHina ट्रेंड करने लगा है।
लोगों की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं:
🗨️ “कितनी बेटियां और जाएंगी ऐसे ही चुपचाप?”
🗨️ “क्या हम सिर्फ आंकड़े बन कर रह जाएंगे?”
🗨️ “सरकार को अब हर गांव में वज्रपात चेतावनी सिस्टम देना चाहिए।”
💬 गांव की आवाज़: एक बेटी गई, लेकिन चेतावनी बचा सकती थी
बरबसपुर गांव के बुज़ुर्गों का कहना है कि इससे पहले भी गांव के पास वज्रपात से मवेशियों की मौत हुई थी।
लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अगर पहले चेतावनी और जागरूकता फैलाई जाती, तो शायद हिना आज ज़िंदा होती।
🎗️ एक मौत नहीं, एक सिस्टम की विफलता
हिना की मौत एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता है।
- यह उस सामाजिक तानेबाने पर सवाल है, जहां गरीब परिवार की बेटियां अपने सपनों से पहले परिस्थितियों से लड़ती हैं।
- यह उस प्रशासन पर सवाल है, जो आपदा चेतावनी प्रणाली को गांवों तक नहीं पहुंचा सका।
- यह हम सब पर सवाल है — क्या हम चुप रहेंगे, या आवाज़ उठाएंगे?

