
Chandauli News
प्रशासन ने शवों की तलाश के लिए गोताखोर लगाए, ग्रामीणों ने सुरक्षा की मांग उठाई
डीडीयू नगर, Chandauli News। जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के महेवा गांव में सोमवार की सुबह एक हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया। गर्मी से राहत पाने के उद्देश्य से नहर में नहाने गई दो सगी बहनों की पानी में डूबकर दर्दनाक मौत हो गई। घटना की जानकारी जैसे ही गांव में फैली, पूरे इलाके में कोहराम मच गया और हर आंख नम हो गई।
गर्मी से राहत की चाहत में दो जिंदगियों का अंत
घटना में जान गंवाने वाली दोनों लड़कियां — संगीता (20 वर्ष) और अनीता (12 वर्ष) — महेवा गांव के ही नई बस्ती वार्ड संख्या 3 के निवासी पन्नालाल की बेटियां थीं। जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह लगभग साढ़े दस बजे के आसपास, संगीता और अनीता गर्मी से परेशान होकर घर से कुछ दूरी पर बह रही नहर में नहाने चली गईं। यह नहर गांव के उत्तर दिशा में बहती है, जहां अक्सर बच्चे व महिलाएं गर्मी के दिनों में पानी में उतरते हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नहर की गहराई और बहाव का अंदाजा न लग पाने के कारण दोनों बहनें कुछ ही पलों में पानी के भीतर समा गईं। जब तक आसपास के लोग कुछ समझ पाते और मदद कर पाते, तब तक दोनों की कोई भनक नहीं मिल सकी।
घटना स्थल पर मचा अफरा-तफरी, गांव में छाया मातम
घटना की खबर जंगल में आग की तरह फैली। ग्रामीणों की भारी भीड़ घटनास्थल पर उमड़ पड़ी। कुछ स्थानीय युवक और ग्रामीण युवकों ने बहनों को बचाने के लिए नहर में छलांग भी लगाई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इस बीच, परिजन भी घटनास्थल पर पहुंचे, जहां रोते-बिलखते माता-पिता की हालत देख हर किसी की आंखें भर आईं।
प्रशासन ने मोर्चा संभाला, गोताखोरों की मदद से तलाश जारी
घटना की सूचना मिलते ही अलीनगर थाना प्रभारी विनोद मिश्रा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने तत्काल स्थानीय प्रशासन को सूचित कर राहत और बचाव कार्य शुरू कराया। इसके साथ ही, चंदौली जिला प्रशासन की ओर से प्रशिक्षित गोताखोरों की एक टीम मौके पर भेजी गई, जिन्होंने पानी में उतरकर तलाश अभियान शुरू किया।
एसडीएम सदर और तहसील प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने परिजनों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
गांव में पसरा मातम, मां की चीखों ने तोड़ा सब्र का बांध
घटना के बाद पन्नालाल की पत्नी, जो सुबह ही खेत की ओर गई थीं, जब गांव लौटीं और दोनों बेटियों की डूबने की खबर सुनीं, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बेटियों की तलाश में जुटे ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों के बीच मां बार-बार चीखते हुए सिर्फ यही कह रही थीं — “मेरी बेटियों को बचा लो, भगवान के लिए उन्हें ढूंढ लो।”
परिवार की यह दर्दनाक स्थिति देख आसपास मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। ग्रामीण महिलाओं ने मां को संभालने की कोशिश की लेकिन वह बार-बार बेहोश हो जा रही थीं।
स्थानीय लोगों की प्रशासन से अपील — नहर के किनारे सुरक्षा के इंतजाम हों
यह कोई पहली घटना नहीं है जब चंदौली जिले में नहर या जलाशयों में नहाने के दौरान इस तरह की जानलेवा दुर्घटनाएं हुई हों। महेवा गांव सहित जिले के कई क्षेत्रों में नहरें खुली और असुरक्षित हैं, जहां न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगे हैं और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था।
ग्रामीणों ने मांग की है कि नहर के आसपास बैरिकेडिंग की जाए, चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और बच्चों को नहर में जाने से रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।
ग्राम प्रधान ने कहा, “यह हादसा बहुत ही दुखद है। प्रशासन को अब जागना होगा। गांव की नहर में कई बार हादसे हो चुके हैं। अब समय है कि सरकार इस पर ठोस कदम उठाए।”
शिक्षा और जागरूकता की कमी भी बन रही है हादसों की वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में तैराकी की जानकारी बहुत सीमित होती है। गर्मी से राहत के लिए बच्चे, किशोर और महिलाएं पानी में उतर तो जाते हैं, लेकिन बहाव और गहराई का अंदाजा न होने के कारण हादसे घटित हो जाते हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “हम बार-बार कह चुके हैं कि गांव के बच्चों को तैराकी की ट्रेनिंग दी जाए और नहर के पास सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएं। अगर समय रहते ऐसा होता, तो आज दो बहनों की जान नहीं जाती।”
प्रशासन ने दी सहायता राशि देने की बात
अलीनगर थाना प्रभारी विनोद मिश्रा ने बताया कि, “घटना अत्यंत दुखद है। जैसे ही सूचना मिली, हमारी टीम मौके पर पहुंची और गोताखोरों को बुलाकर खोजबीन शुरू की गई। जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दे दी गई है। नियमानुसार परिजनों को राहत राशि प्रदान की जाएगी।”
उधर, चंदौली के डीएम और एसपी को भी घटना से अवगत करा दिया गया है। यदि शव बरामद हो जाते हैं तो पोस्टमार्टम के बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
नहरों की सुरक्षा अब समय की मांग — विशेषज्ञों की राय
चंदौली सहित पूर्वांचल के कई जिलों में गर्मी के मौसम में नहरें लोगों के लिए अस्थायी “तैराकी घाट” बन जाती हैं। यह सामाजिक व्यवहार तब तक सुरक्षित है जब तक उसमें जरूरी सावधानियां बरती जाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि नहरों को खुले छोड़ देना और बच्चों की निगरानी न करना, खतरनाक साबित हो सकता है।
महेवा गांव की दो मासूम बहनों की दर्दनाक मौत न सिर्फ एक परिवार का उजड़ना है, बल्कि यह पूरे समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है। यह हादसा बताता है कि सुरक्षा इंतजाम और जागरूकता की कितनी गंभीर आवश्यकता है। प्रशासन को जहां सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए, वहीं समाज को भी जागरूक होना होगा कि इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जाए।