
खबरी न्यूज़ की पेशकश | प्रधान संपादक – के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)
“जमीनी सच्चाई से समझौता नहीं… खबरी न्यूज़ सिर्फ सच बोलता है!”
104 साल के लखन की रिहाई ने झकझोर दिया इंसाफ का पूरा सिस्टम – बेटी आशा की आंखों से छलका इंसाफ का दर्द!
EXCLUSIVE | KAUSHAMBI | JUSTICE AFTER 43 YEARS | HEART-WRENCHING Khabari News WAVE PORTAL REPORT



कभी आपने सोचा है कि एक व्यक्ति अपनी जिंदगी का सबसे कीमती वक्त सलाखों के पीछे गुजार दे… और फिर जब उसकी बेगुनाही साबित हो, तो उसका शरीर चलने से भी लाचार हो? ये कहानी है कौशांबी के बुज़ुर्ग लखन की – जिन्होंने 43 साल तक जेल में ‘निर्दोष’ होकर सज़ा भुगती, और जब कोर्ट ने बरी किया, तब उम्र थी 104 साल!
“अब बाबूजी सुकून से दुनिया से जाएंगे…” – बेटी आशा की रुलाई सबको रुला गई!
कौशांबी जिला जेल से जब 104 वर्षीय लखन बाहर निकले, तो उनका स्वागत करने वाली उनकी बेटी आशा ने जो कहा, उसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए।
“बाबूजी अब चैन से जाएंगे… उनका नाम अब पाक-साफ़ है। 43 साल की पीड़ा का अंत हुआ…”
1977 में गिरफ्तारी, 1982 में आजीवन कारावास, और 2025 में बरी!
- गांव – गौरे, थाना शरीरा, जिला कौशांबी
- गिरफ्तारी – वर्ष 1977
- सज़ा – प्रयागराज कोर्ट ने 1982 में सुनाई थी उम्रकैद
- बरी – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को किया बरी
- रिहाई – 21 मई 2025 को जिला जेल से DLSA की सहायता से
कानून की धीमी चाल या सिस्टम का पतन?
सोचिए, चार अभियुक्तों में से तीन की मौत हो चुकी है, और चौथे लखन को जब इंसाफ मिला, तब वो खुद जिंदगी की अंतिम दहलीज पर हैं।
क्या यही है हमारे सिस्टम की “Speed of Justice”?
क्या 43 साल का समय किसी की जिंदगी की कीमत नहीं होता?
पैर में दर्द, चलने की हालत नहीं… लेकिन चेहरे पर संतोष का सुकून!
DLSA की मदद से जब ADJ पूर्णिमा प्रांजल के निर्देश पर लखन को छोड़ा गया, तो उनकी हालत बेहद नाज़ुक थी –
- चलने के लिए सहारे की ज़रूरत
- पैर में लगातार दर्द
- दैनिक कामों में भी दूसरों की मदद पर निर्भर
लेकिन… चेहरे पर था वो ‘संतोष’, जो शायद सिर्फ इंसाफ मिलने के बाद ही आता है।
खबरी न्यूज़ कह रहा जिसे आप भी कह सकते हैं –
- “43 साल बाद मिला इंसाफ, लेकिन शरीर ने साथ छोड़ दिया…”
- “बेटी की आंखों में जो आंसू थे, वो सिस्टम की नाकामी की गवाही थे…”
- “लखन निर्दोष थे, पर उम्रकैद ने उन्हें लाचार बना दिया!”
- “इंसाफ मिला, पर बहुत देर से – अब क्या करे ये बुजुर्ग दिल?”
- “104 साल का जीवन, 43 साल की जेल और अब आज़ादी का बोझ…”
अब सवाल सिस्टम से – क्या लखन को मुआवज़ा मिलेगा?
43 साल की बेगुनाह कैद का हर्जाना कौन देगा?
क्या DLSA या सरकार अब लखन को किसी प्रकार की पेंशन, मुआवज़ा या विशेष सम्मान देगी?
या ये केस भी “एक फाइल” बनकर सरकारी दफ्तरों की धूल चाटेगा?
Khabari News की मांग – “लखन को मिले न्यायिक क्षतिपूर्ति और राज्य सम्मान”
हम, Khabari News परिवार और हमारे मुख्य संपादक के.सी. श्रीवास्तव (Advocate) की ओर से उत्तर प्रदेश शासन व भारत सरकार से मांग करते हैं:
- लखन को मिले राजकीय मुआवज़ा
- उनके परिवार को दी जाए आर्थिक सहायता
- उनके केस को ‘न्यायिक प्रणाली की ऐतिहासिक भूल’ के रूप में दर्ज किया जाए
आप क्या सोचते हैं? #JusticeForLakhan पर अपनी राय दीजिए!
क्या आपको लगता है कि 43 साल बाद मिली आज़ादी… इंसाफ है या अन्याय?
क्या हमारा सिस्टम इतने वर्षों तक किसी निर्दोष को जेल में रख सकता है और फिर बिना किसी क्षतिपूर्ति के छोड़ सकता है?
कमेंट करें | शेयर करें | आवाज़ बनें – ताकि एक और लखन, लखन न बन जाए!
Khabari News | सोशल मीडिया की असली आवाज़
Editor-in-Chief: K.C. Shrivastava (Advocate)
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विशेष रिपोर्ट | न्याय, इंसाफ और संवेदनशीलता की सबसे मार्मिक कहानी
“जहां सिस्टम चुप रहा, वहां खबरी न्यूज़ ने उठाई आवाज़!”



एक सम्मानजनक मासिक आय निर्धारित कर सरकार को निर्दोष व्यक्ति को देनी चाहिए और जो धनराशि दी जय उसमें से आधी पुलिस विभाग के उस अधिकारी से लेनी चाहिए जिसने चार्जशीट दाखिल किया।इससे निर्दोष व्यक्ति को सजा कम मिलेगी।