
प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास” – एक वैश्विक पुकार, एक स्थानीय संघर्ष
Editor-in-Chief: के.सी. श्रीवास्तव (Advocate)
खबरी न्यूज़ नेशनल नेटवर्क

मुख्य हाइलाइट्स
- अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025 की थीम: Harmony with Nature and Sustainable Development
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा और 2030 सतत विकास एजेंडा से सीधा संबंध
- वृक्ष बंधु और ग्रीन बैरियर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित डॉ. परशुराम सिंह से विशेष बातचीत
- जैव विविधता के नुकसान का मानव स्वास्थ्य, आहार और भविष्य पर सीधा प्रभाव
- Khabari News की अपील: हर व्यक्ति बने प्रकृति का प्रहरी
बदलाव की शुरुआत एक थीम से होती है – “प्रकृति के साथ सामंजस्य”
22 मई 2025 को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मना रही है। लेकिन क्या यह दिन सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा? या यह थीम – “Harmony with Nature and Sustainable Development” – किसी क्रांति का आधार बनेगी?
संयुक्त राष्ट्र की यह थीम आज एक नारा नहीं, बल्कि चेतावनी बन चुकी है – अगर अब भी हम नहीं जागे, तो प्रकृति हमें क्षमा नहीं करेगी।
क्या है यह थीम, और क्यों है यह बेहद जरूरी?
“प्रकृति के साथ सामंजस्य” का अर्थ है कि मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करे, प्रकृति के संतुलन को बनाए रखे, और विकास के नाम पर विनाश को रोके।
यह थीम जुड़ी है दो वैश्विक दस्तावेजों से:
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (KMGBF) – 2022 में अपनाई गई, जिसका लक्ष्य है जैव विविधता का संरक्षण और पुनर्जीवन
- 2030 सतत विकास एजेंडा – संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 17 विकास लक्ष्य, जो बिना प्रकृति की रक्षा के संभव नहीं
क्या है जैव विविधता और यह क्यों है हमारी जरूरत?
जैव विविधता का अर्थ है – जीवन के हर रूप की विविधता: पौधे, जानवर, कीट, सूक्ष्मजीव, फसलें, मछलियाँ, औषधीय पौधे, और पारिस्थितिक तंत्र।
कुछ चौंकाने वाले तथ्य:
- 80% मानव आहार पौधों पर आधारित है
- 3 अरब लोग अपनी प्रोटीन की जरूरत मछलियों से पूरी करते हैं
- ग्रामीण भारत में 80% लोग पारंपरिक पौधों से उपचार करते हैं
- औसतन हर दिन 150 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं
यह केवल आँकड़े नहीं हैं – यह मानवता का संकट है।
जब प्रकृति टूटती है – बीमारियाँ फैलती हैं
COVID-19 जैसी महामारियाँ इस बात का सबूत हैं कि जब मानव और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है, तो जानवरों से बीमारियाँ इंसानों में आती हैं (Zoonotic Diseases)।
जैव विविधता हमारी सुरक्षा कवच है। यह ना सिर्फ हमें आहार और दवाएं देती है, बल्कि महामारी से लड़ने की शक्ति भी देती है।
विशेष इंटरव्यू: डॉ. परशुराम सिंह – जिनके जीवन की पूजा है ‘वृक्ष सेवा’
सम्मान:
- वृक्ष बंधु पुरस्कार
- ग्रीन बैरियर्स फाउंडेशन का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
- U.P.C.M.योगी आदित्यनाथ द्वारा गंगा पुत्र से सम्मानित।
- तीन राज्यो के राज्यपाल से सम्मानित।
अब तक के कार्य:
- 10 लाख से अधिक पौधारोपण
- 30+ ड्राई क्षेत्रों में जल संरक्षण मॉडल
- 65 गांवों में ‘हर गली, एक पेड़’ अभियान
Khabari News के Chief Editor K.C. Shrivastava से बातचीत के अंश:
प्रश्न: आप जैव विविधता को कैसे परिभाषित करते हैं?
उत्तर:
“यह केवल पर्यावरण शब्दों का खेल नहीं है। यह एक जीवित व्यवस्था है – जिसमें इंसान एक घटक है, शासक नहीं। जैव विविधता बचेगी, तभी सभ्यता बचेगी।”
प्रश्न: सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
उत्तर:
“मानसिकता – लोग पेड़ लगाना महान कार्य समझते हैं, लेकिन उसे बचाना त्याग मानते हैं। हमें स्थायित्व की संस्कृति विकसित करनी होगी।”
UNEP का संदेश: जैव विविधता की रक्षा = जलवायु परिवर्तन का समाधान
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का मानना है कि जैव विविधता के संरक्षण से:
- तापमान नियंत्रण में मदद
- प्रदूषण में कमी
- प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन
- जल स्रोतों का स्थायित्व सुनिश्चित होता है
Khabari News की विशेष रिपोर्टिंग: जनता की नजर से सरकार तक
हमने ग्रामीण भारत से लेकर विश्वविद्यालय परिसरों तक सर्वे किया – और पाया:
- 73% छात्र जैव विविधता का अर्थ नहीं जानते
- 62% गांवों में स्थानीय पौधों की पहचान का ज्ञान खो चुका है
- लेकिन 85% लोग प्रकृति रक्षा को अपनी जिम्मेदारी मानते हैं
यही आशा की किरण है – जनभागीदारी।
आगे का रास्ता: सिर्फ योजनाएं नहीं, जनांदोलन चाहिए!
सरकारें क्या कर रही हैं:
- GIM (Green India Mission)
- National Biodiversity Action Plan
- Urban Forestry Scheme
लेकिन क्या आम आदमी जुड़ रहा है? जवाब है – अभी बहुत कम।
Khabari News की अपील (SEO Rich Call-to-Action):
आप भी बन सकते हैं “प्रकृति प्रहरी”! आज ही –
- #एकपौधाजिंदगीकेलिए लगाइए
- अपने मोहल्ले में #बायोडायवर्सिटी_क्लब शुरू कीजिए
- बच्चों को #PlantOneTeachOne अभियान से जोड़िए
- हर महीने कम से कम एक #GreenWalk करें
- इस रिपोर्ट को #KhabariForNature टैग के साथ शेयर करें



डॉ. परशुराम सिंह का अंतिम संदेश:
“अगर हमने आज नहीं समझा कि ‘प्रकृति हमारी सहजीवन साथी है’, तो कल हम अस्तित्व के लिए संघर्ष करते रह जाएंगे। पेड़ लगाइए, सोच बदलिए – यही असली देशभक्ति है।”
अंत में:
आज जब पूरी दुनिया जैव विविधता दिवस मना रही है, Khabari News यह पूछना चाहता है:
क्या हम केवल थीम पढ़ने आए हैं, या उसे जीवन में उतारने का संकल्प भी लाए हैं?
आपकी अगली सांस – एक पेड़ की देन है। क्या आप उस जीवनदाता के लिए कुछ करेंगे?
SEO-Focused Keywords Used:
- जैव विविधता दिवस 2025
- Harmony with Nature and Sustainable Development
- Sustainable Development Goals
- KMGBF
- UNEP जैव विविधता
- वृक्ष बंधु पुरस्कार
- ग्रीन बैरियर्स अवार्ड
- डॉ. परशुराम सिंह पर्यावरण
- जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य
- प्रकृति संरक्षण भारत
- International Biodiversity Day Hindi
- Biodiversity and SDGs India



लेखक: Khabari News वेव पोर्टल टीम | Chief Editor: K.C. Shrivastava (Advocate)
आभार: UNEP India | Green Barriers Foundation | जैव विविधता शोध संस्थान
