

रिपोर्ट | खबरी न्यूज़| चकिया से एक्सक्लूसिव
चकिया की धरती एक बार फिर गौरवान्वित हुई है। 13 मई 2025, एक तारीख जो अब सिल्वर बेल्स स्कूल, चकिया के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई है। CBSE की कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा 2025 में स्कूल ने 100% रिजल्ट के साथ न केवल जिले में बल्कि पूरे क्षेत्र में शिक्षा का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इस कामयाबी ने साबित कर दिया कि जब मेहनत, मार्गदर्शन और विश्वास साथ हों, तो चमत्कार होते हैं।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे कुछ चेहरे हैं, जो सिर्फ अंक नहीं, एक कहानी लेकर आए हैं – संघर्ष, सपनों और सफलता की कहानी।
ज्योति जायसवाल: 87% और आंखों में मां-बाप का सपना
सादगी भरे चेहरे पर चमक, और आंखों में मंज़िल की आग।


ज्योति जायसवाल, पुत्री श्री राम नवल जायसवाल और श्रीमती सुमन जायसवाल, ने 87% अंक लाकर यह दिखा दिया कि लड़कियां अगर ठान लें, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। सीमित संसाधनों के बावजूद ज्योति ने कभी हार नहीं मानी। वह कहती हैं,
“मेरे शिक्षक मेरे रोल मॉडल हैं। मम्मी-पापा का भरोसा और स्कूल का सहयोग ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी थी।”
ज्योति की इस सफलता ने पूरे कस्बे में बेटियों की शिक्षा को लेकर एक नई उम्मीद जगा दी है।
आर्यन विश्वकर्मा: 80% और आत्मविश्वास की उड़ान

आर्यन विश्वकर्मा: 80% और आत्मविश्वास की उड़ान
शांत स्वभाव और गंभीर सोच वाले आर्यन विश्वकर्मा, पुत्र श्री विजेन्द्र कुमार और श्रीमती आशा देवी, ने 80% अंक प्राप्त कर स्कूल का गौरव बढ़ाया। आर्यन कहते हैं,
“हर सुबह की शुरुआत एक सपना लेकर होती थी – और उस सपने को साकार करने में मेरे टीचर्स की मेहनत और पापा की चाय सबसे बड़ा ईंधन थे।”
आर्यन की बातों में सच्चाई की गहराई है। उन्होंने ये साबित किया कि संकल्प और समयबद्ध पढ़ाई सफलता की कुंजी है।
विद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया: गर्व और प्रेरणा का पल
विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती अनुपमा अग्रवाल, निदेशक श्रीमती सुषमा जायसवाल, और अध्यक्ष श्री प्रभात जायसवाल ने संयुक्त रूप से इस मौके पर कहा:
“यह सफलता केवल दो छात्रों की नहीं, यह पूरे सिल्वर बेल्स परिवार की जीत है। हमने अनुशासन, शिक्षा की गुणवत्ता और व्यक्तिगत मार्गदर्शन को हमेशा प्राथमिकता दी है। यह परिणाम उसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
उन्होंने दोनों होनहार छात्रों को माला पहनाकर सम्मानित किया और उनकी भविष्य की उड़ान के लिए शुभकामनाएं दीं।
स्कूल का 100% परिणाम: कैसे बना यह मुमकिन?
प्रतिदिन मूल्यांकन आधारित पढ़ाई
व्यक्तिगत फीडबैक सत्र
माता-पिता के साथ नियमित संवाद
टेक्नोलॉजी और ट्रैडिशन का संतुलित प्रयोग
इन सभी उपायों ने छात्रों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षा में उतरने का मौका दिया। शिक्षकों की समर्पित टीम ने हर छात्र की कमजोरी को पहचाना और उन्हें ताकत में बदल दिया।
चकिया बोले – ‘सिल्वर बेल्स, तुम पर फक्र है!’
चकिया के नागरिक, अभिभावक और पूर्व विद्यार्थी स्कूल की इस सफलता से भावुक हैं। सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़ है –#JabardastSilverBells, और #CBSEChampions2025 जैसे ट्रेंड्स से स्कूल की कामयाबी की गूंज हर कोने में है।
अंत में…
जब एक गांव, एक कस्बा, एक स्कूल और एक परिवार – सब मिलकर एक बच्चे के साथ खड़े होते हैं, तो नतीजा सिर्फ नंबर नहीं होता, वो बन जाता है एक इमोशनल उपलब्धि। सिल्वर बेल्स स्कूल ने सिर्फ बोर्ड परीक्षा पास नहीं की है, बल्कि हर अभिभावक के विश्वास को भी पास किया है।
