
क्या यही है हमारा सिस्टम? अब चोरी सिर्फ जेवर या गाड़ी की नहीं… नहर और नाली की भी!



🖋️ खबरी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट | सिंगरौली, मध्यप्रदेश से
“जिस देश में नाली भी कागजों में बनती है और पैसा जेबों में चला जाता है, वहां सड़क पर गड्ढे नहीं, सिस्टम की कब्रें होती हैं!”
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले से आई इस खबर ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। कुछ दिन पहले “नहर चोरी” की घटना ने सबका ध्यान खींचा था, और अब… “नाली चोरी”! जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं — नाली चोरी!
एक ऐसी नाली, जो कागजों में बनी, फोटोज में बनी, बिलों में बनी, लेकिन धरातल पर नहीं दिखती। और इसके बदले ठेकेदार को पूरे 18 लाख 72 हज़ार रुपये का भुगतान कर दिया गया।
क्या यही है विकास? क्या यही है व्यवस्था?
सिंगरौली नगर निगम के वार्ड नंबर 36 जयनगर की यह घटना सिर्फ एक घोटाला नहीं, बल्कि एक शर्मनाक उदाहरण है कि किस हद तक हमारा सिस्टम सड़ चुका है।
सोचिए… एक पूरी की पूरी नाली चोरी हो जाती है और किसी को खबर तक नहीं लगती!
- 400 मीटर लंबी नाली सिर्फ कागजों में बनी।
- न tender में कमी थी, न फाइलों में लापरवाही।
- नाली की अनुमानित लागत 16.35 लाख रुपये थी, लेकिन भुगतान हुआ 18.72 लाख!
ये कैसा खेल है साहब? जनता को धोखा, सिस्टम से खिलवाड़, और ईमानदारी का गला घोंटने का लाइव उदाहरण!
जब लोगों ने पूछा – ‘हमारी गली में नाली कहां है?’
जयनगर तेलगवां गांव के रामदयाल पांडेय बताते हैं —
“जब हमें पता चला कि हमारे मोहल्ले में नाली बनी है, हम हैरान रह गए। यहां तो 2017 में NTPC ने एक नाली बनाई थी, उसके बाद कभी कुछ नहीं बना!”
फिर शुरू हुई खोज — न फोटो में दिखी, न जमीन पर!
नाली नहीं थी, पर उसके पैसे बन चुके थे।
‘नाली’ को भी खा गया सिस्टम – ये कैसा विकास है?
4 अगस्त 2023 को इस नाली के निर्माण के लिए tender निकाला गया।
ठेका मिला ‘महाकाल ब्रदर्स जयनगर’ को।
कनिष्ठ अभियंता ने “निर्माण” को माप पुस्तिका में दर्ज कर लिया, तस्वीरें ली गईं (कहां की?) और फिर 4 मार्च 2024 को भुगतान भी हो गया।
अब आप सोचिए — जमीन पर नाली नहीं, लेकिन फाइल में सबकुछ परफेक्ट!
इसका मतलब साफ है —
“कोई गड़बड़ नहीं थी, गड़बड़ सिर्फ ईमानदारी में थी!”
नगर आयुक्त खुद पहुंचे… पर दिखा सिर्फ धोखा
जब मामला सामने आया, तो नगर निगम आयुक्त डीके शर्मा खुद मौके पर पहुंचे। और वही देखा — जो जनता कब से कह रही थी:
“वहां कोई नाली नहीं थी!”
आयुक्त ने माना कि घोटाला हुआ है। उन्होंने मामला EOW (Economic Offences Wing) को सौंप दिया।
अब सवाल है:
- इस भ्रष्टाचार की जड़ कितनी गहरी है?
- क्या सिर्फ ठेकेदार जिम्मेदार है?
- या फिर निगम के अधिकारी भी इस खेल में साझेदार हैं?
ईमानदारी की मौत का प्रमाण पत्र है यह मामला
ये सिर्फ चोरी नहीं है — ये आशाओं की हत्या है।
जब जनता टैक्स देती है, तो उसका मतलब होता है विकास।
पर यहां तो टैक्स के पैसे से सिर्फ फाइलें मोटी हो रही हैं और ज़मीर पतला।
यह वही सिस्टम है जो अस्पताल में दवा नहीं दे पाता, स्कूल में बेंच नहीं पहुंचा पाता, पर कागजों पर नाली बनवाकर ठेकेदार को करोड़पति बना देता है।
“चोरी” शब्द अब छोटा लगता है…
पहले नहर चोरी, अब नाली चोरी।
कल क्या होगा — पुल चोरी, स्कूल चोरी, अस्पताल चोरी?
क्या सिस्टम ही चोरी हो चुका है?

खबरी न्यूज पूछता है:
🔴 क्या यह घटना अकेली है?
🔴 क्या सिंगरौली में और भी कई ऐसी नालियां कागजों में बन चुकी हैं?
🔴 क्या इस तरह की जांच हर जिले में नहीं होनी चाहिए?
🔴 दोषी अफसरों को सस्पेंड क्यों नहीं किया गया?
जनता पूछ रही है: क्या अब सिस्टम में कुछ बचा भी है?
जब सरकारी योजनाएं सिर्फ दलालों और ठेकेदारों की जेब भरने का जरिया बन जाएं,
जब फाइलों में पुल, नाली, सड़क और अस्पताल बन जाएं,
और जमीन पर सिर्फ खालीपन और धोखा हो…
तब लोकतंत्र नहीं, धोखातंत्र चल रहा होता है।
खबरी न्यूज की मांग:
- दोषियों को तत्काल सस्पेंड किया जाए
- EOW की जांच सार्वजनिक हो
- भविष्य में निर्माण कार्यों का डिजिटल ट्रैकिंग हो
- हर वॉर्ड की जनता को योजनाओं की जानकारी दी जाए
- व्हिसलब्लोअर को सुरक्षा व प्रोत्साहन मिले
आपका सवाल, आपका हक — #नाली_कहां_है?
आइए एक मुहिम चलाएं —
“जनता पूछेगी, सिस्टम जवाब देगा!”
📌 इस पोस्ट को शेयर करें — ताकि हर नागरिक पूछे: क्या हमारा टैक्स इसी भ्रष्टाचार के लिए है?
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✍️ रिपोर्ट: खबरी न्यूज स्पेशल टीम


