
Veteran actor Manoj Kumar passes away

Veteran actor Manoj Kumar passes away
मुंबई। हिंदी सिनेमा के ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका देहांत फिल्म जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 87 वर्षीय मनोज कुमार ने मुंबई स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। जैसे ही यह दुखद खबर सामने आई, फिल्मी दुनिया के साथ-साथ पूरा देश शोक की लहर में डूब गया।
मनोज कुमार का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करते समय हर आंख नम थी। अंतिम संस्कार में अमिताभ बच्चन, राज बब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा, परेश रावल, जावेद अख्तर, हेमा मालिनी, अनुपम खेर और कई अन्य जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं।
एक युग का अंत
मनोज कुमार का जाना सिर्फ एक अभिनेता का नहीं, बल्कि एक पूरे युग का अंत है। देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत उनकी फिल्मों ने न केवल दर्शकों को प्रभावित किया, बल्कि उन्हें एक नई सोच भी दी। ‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में उन्होंने समाज, संस्कृति और देशभक्ति की जड़ों को पर्दे पर जीवंत किया।
उनकी फिल्मों में आम आदमी की पीड़ा, संघर्ष और देशभक्ति की गूंज होती थी। वो अभिनेता ही नहीं, बल्कि विचारक और दार्शनिक भी थे, जिनके संवाद आज भी लोगों की जुबान पर हैं।

अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
मुंबई के सांताक्रूज श्मशान घाट तक मनोज कुमार की अंतिम यात्रा निकाली गई। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में प्रशंसक और फिल्मी जगत से जुड़े लोग पहुंचे। हर चेहरा उदास था, हर आंखें नम थीं। अमिताभ बच्चन, जो कि मनोज कुमार को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं, बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “मनोज जी मेरे लिए एक संस्थान थे। उनके जैसा सोचने वाला कलाकार विरले ही होता है।”
राज बब्बर, जिन्होंने अपने अभिनय करियर में मनोज कुमार से प्रेरणा ली थी, ने कहा, “आज एक आदर्श चला गया। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।”
पर्दे का भारत कुमार
मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था, लेकिन जब उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की, तो ‘मनोज कुमार’ नाम चुना — यह नाम उन्हें दिलीप कुमार से प्रेरणा लेकर पसंद आया था। लेकिन आगे चलकर वह ‘भारत कुमार’ बन गए।
उनकी फिल्मों में देशभक्ति की भावना इस कदर रची-बसी थी कि उन्हें ये उपाधि दी गई। ‘उपकार’ में उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को फिल्मी पर्दे पर जीवंत कर दिया। इसी फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
एक बहुआयामी कलाकार
मनोज कुमार ना केवल एक शानदार अभिनेता थे, बल्कि उतने ही बेहतरीन निर्देशक और पटकथा लेखक भी थे। उन्होंने जिन फिल्मों का निर्देशन किया, उनमें सामाजिक मुद्दे, राजनीतिक परिस्थितियां और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत समन्वय था।
उनकी फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ आज भी प्रासंगिक मानी जाती है, क्योंकि इसमें उन्होंने बेरोजगारी, गरीबी, और सामाजिक असमानताओं को लेकर जो बातें कही थीं, वे आज भी देश के युवाओं को झकझोरती हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में योगदान
मनोज कुमार को उनके असाधारण योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। उन्हें 1992 में पद्म श्री और 2016 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। यह सम्मान उनके बहुमूल्य योगदान का प्रतीक था।
वे अपनी फिल्मों के ज़रिए न केवल मनोरंजन करते थे, बल्कि सामाजिक जागरूकता फैलाते थे। उन्होंने सिनेमा को केवल ग्लैमर का माध्यम नहीं, बल्कि सशक्त सामाजिक संवाद का जरिया बनाया।
व्यक्तिगत जीवन
मनोज कुमार का जीवन सादगी और विचारशीलता का प्रतीक रहा। वह मीडिया से दूरी बनाए रखते थे और अपने विचारों को फिल्मों के माध्यम से अभिव्यक्त करते थे। उन्होंने कभी भी सस्ती लोकप्रियता की तलाश नहीं की, बल्कि गुणवत्ता और विचारशीलता को ही प्राथमिकता दी।
उनकी पत्नी शशि गोस्वामी और दो बेटे हैं, जो इस दुखद घड़ी में परिवार के साथ हैं। परिवार ने मीडिया से अपील की है कि वे इस समय उनकी निजता का सम्मान करें।
अंतिम विदाई: एक जननायक को सलाम
मनोज कुमार की अंतिम यात्रा किसी नायक के सम्मान में निकली श्रद्धांजलि से कम नहीं थी। फूलों से सजी एंबुलेंस में जब उनका पार्थिव शरीर श्मशान की ओर ले जाया गया, तो रास्ते भर लोग ‘भारत माता की जय’ के नारों से उन्हें विदा कर रहे थे।
मुंबई पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी। यह वही कलाकार थे, जिनके किरदारों ने लोगों को देशभक्ति सिखाई, और आज उन्हीं के लिए पूरा देश सिर झुकाकर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था।
सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों की बाढ़
Manoj Kumar के निधन पर सोशल मीडिया भी शोक संदेशों से भर गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “मनोज कुमार जी ने अपनी फिल्मों के माध्यम से भारत की आत्मा को पर्दे पर उतारा। उनका योगदान सदा स्मरणीय रहेगा।”
शाहरुख खान, आमिर खान, रणबीर कपूर, और कई अन्य सितारों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को सलाम किया।
एक युग, एक विरासत
मनोज कुमार ने अपने जीवन और फिल्मों के ज़रिए जो मूल्य, आदर्श और विचार समाज को दिए, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। उनका जाना सिर्फ एक अभिनेता का नहीं, बल्कि उस सिनेमा का जाना है जो विचारोत्तेजक, आदर्शवादी और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत था।
आज जब देश सिनेमा को केवल मनोरंजन का माध्यम मानता है, तब मनोज कुमार जैसे कलाकार की कमी और भी खलती है। उन्होंने फिल्म को एक आंदोलन, एक विचार और एक क्रांति का रूप दिया।
पंचतत्व में विलीन होकर भी, भारत कुमार हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में जीवित रहेंगे।

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