

🛡️ “धर्म की रक्षा के लिए जन्मे योद्धा: भगवान परशुराम की जयंती पर जानिए उनका अवतार, संघर्ष और संदेश”
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क
📜 “जब न्याय के लिए उठी फरसे की धार”
- “अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती: एक शुभ संयोग”
- ” डॉ0 परशुराम सिंह बोले: आज भी प्रेरणा हैं परशुराम का जीवन”
- “ज्ञान, धर्म और साहस का प्रतीक: परशुराम जी का अमर संदेश”
- “क्षत्रि
- छत्रप के अत्याचार के विरुद्ध महायोद्धा”
✍️ विस्तृत सम्पादकीय के.सी.श्रीवास्तव एड0
🌟 हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। इसी दिन अक्षय तृतीया भी होती है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और अबूझ माना जाता है। भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अवतार लिया था।
🧘♂️ भगवान परशुराम का अवतरण:
परशुराम जी का जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के आशीर्वाद से हुआ था। वे तप, त्याग, विद्या और शस्त्र-कला के अद्भुत संगम थे। भगवान शिव की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दिव्य फरसा (परशु) प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने धर्म के संरक्षण के लिए प्रयोग किया।
⚔️ परशुराम और धर्म रक्षा:
जब पृथ्वी पर क्षत्रपो के अत्याचार ने सारी सीमाएं लांघ दीं, तब परशुराम ने क्षत्रपों का 21 बार संहार कर धर्म की स्थापना की। उनका युद्ध कौशल अद्वितीय था और वे भीष्म, द्रोणाचार्य, और कर्ण जैसे महान योद्धाओं के गुरु बने।
🕊️ परशुराम का फरसा:
कहते हैं कि परशुराम का दिव्य फरसा आज भी पृथ्वी पर कहीं मौजूद है। यह केवल एक शस्त्र नहीं बल्कि धर्म के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा देता है।
🛕 महेंद्र पर्वत पर वास:
अपना कर्तव्य निभाने के बाद परशुराम महेंद्र पर्वत पर तपस्या में लीन हो गए। आज भी यह स्थान तीर्थ यात्रियों और साधकों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।


🌞 अक्षय तृतीया का महत्व:
अक्षय तृतीया वह तिथि है जो स्वयं में शुभता को समेटे हुए है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय (कभी नष्ट न होने वाला) माना जाता है। सोना खरीदना, भूमि पूजन करना, विवाह, नए कार्यारंभ आदि इस दिन विशेष रूप से किए जाते हैं।
🧡 डॉ 0 परशुराम सिंह का संदेश:
डा0परशुराम सिंह, वरिष्ठ विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ही साथ कई राष्ट्रीय ‚अर्न्तराष्ट्रीय पुरष्कार प्राप्त् है जिन्होने इस अवसर पर कहा,
“भगवान परशुराम केवल युद्ध के प्रतीक नहीं हैं, वे धर्म, न्याय और ज्ञान के अद्भुत संगम हैं। आज के युग में जब अन्याय बढ़ रहा है, तब परशुराम जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें भी अन्याय के विरुद्ध खड़े होना चाहिए। उनके जीवन का संदेश है – शस्त्र वही उठे जो धर्म की रक्षा के लिए आवश्यक हो।”
🧩 परशुराम जयंती की परंपराएँ:
- भगवान परशुराम की विधिवत पूजा।
- व्रत और उपवास।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान देना।
- धर्म-कथा और उनके जीवन से जुड़ी शिक्षाओं का वाचन।
📖 भगवान परशुराम से जुड़ी प्रमुख कहानियाँ:
- कृपाचार्य और भीष्म को शस्त्र विद्या सिखाना।
- कर्ण को श्राप देना कि वह उचित समय पर अपने ज्ञान को भूल जाएगा।
- धरती के भार को कम करने के लिए क्षत्रपो का संहार करना।
- श्रीराम और परशुराम का ऐतिहासिक संवाद।
🎯 परशुराम जी के जीवन से आज की सीख:
- धैर्य: संकट चाहे जितना भी बड़ा हो, धैर्य से निपटना चाहिए।
- साहस: अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए, चाहे कितनी भी बड़ी शक्ति सामने हो।
- ज्ञान: युद्ध कौशल के साथ-साथ ज्ञान में भी पारंगत होना चाहिए।
- समर्पण: सत्य और धर्म के प्रति पूर्ण समर्पण।
🕉️ खबरी न्यूज का कहना है कि –
भगवान परशुराम का जीवन केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज भी प्रासंगिक प्रेरणा है। न्याय, धर्म, समर्पण और तपस्या के गुणों को अपने जीवन में अपनाकर हम भी सच्चे अर्थों में परशुराम जयंती की सार्थकता सिद्ध कर सकते हैं।
जय परशुराम! 🙏🛡️
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